Wednesday, February 29, 2012

जहाँ खादी वाले चूस रहे हैं आज़ादी का गन्ना ....................




 पैरोडी  : इट हैप्पन्ज ओनली इन इण्डिया ...


जहाँ गाँव है घायल,
नगर है ज़ख्मी,
महानगर भी दुखिया
इट हैप्पन्ज ओनली इन इण्डिया ...
इट हैप्पन्ज ओनली इन इण्डिया 


जहाँ खादी वाले चूस रहे हैं आज़ादी का गन्ना
जहाँ गुण्डों के हिस्से आता है देश का नेता बनना
जहाँ रक्षक ही भक्षक बन बैठे
रौंद रहें हैं कलियाँ
इट हैप्पन्ज ओनली इन इण्डिया .....
इट हैप्पन्ज ओनली इन इण्डिया 


जहाँ आम आदमी के घर में सब्ज़ी आनी भी मुश्किल
घी - दूध - दही की बात तो छोड़ो, है पानी भी मुश्किल
जहाँ आमदनी है आठ आने
और खर्च है आठ रुपैया
इट हैप्पन्ज ओनली इन इण्डिया.....
इट हैप्पन्ज ओनली इन इण्डिया 


कुछ गद्दारों को देख, मुझे होती है ख़ूब हैरानी
जब क्रिकेट में हम जीतें उनकी मर जाती है नानी
पर टीम हमारी हारे तो वे
ख़ूब मनाते खुशियां
इट हैप्पन्ज ओनली इन इण्डिया...
इट हैप्पन्ज ओनली इन इण्डिया



जय हिन्द !

2 comments:

  1. बढ़िया, वैसे हेडिंग पर चार लेने मैंने भी जोड़ दी है ;


    जहां खादी वाले चूस रहे आजादी का गन्ना,

    जहां चोरो का बाएं हाथ का खेल है नेता बनना,

    जहाँ गुंडे-मवाली बने बैठे है मोटे सेठ-धन्ना,

    वहां भला एक अकेला तू क्या कर लेगा अन्ना ?

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अलबेला खत्री आपका अभिनन्दन करता है