हाँ हाँ
मैंने बेचा है
बेचा है लोहू जिगर का
बेचा है नूर नज़र का
लेकिन
ईमान नहीं बेचा
मैं खाक़ हूँ ...पर पाक हूँ
मेहनतकशी की नाक हूँ
तुम सा नहीं जो वतन को
शान्ति-चैन-ओ-अमन को
माँ भारती के बदन को
पीड़ितजनों के रुदन को
कुर्सी की खातिर
गैरों के हाथ बेच डालूँ
सत्ता के तलवे चाटूं
और चाँदी का जूता खाने के लिए
अपना ज़मीर बेच डालूं
अरे भ्रष्टाचारियों !
मैं बेचता हूँ सिर्फ़ पसीना
वो भी अपना !
और अपना ही वक़्त बेचता हूँ
पेट भराई के लिए
लेकिन इन्सानियत नहीं बेचता
किसी भी क़ीमत पर नहीं बेचता
क्योंकि मैं
मज़दूर हूँ .....लीडर नहीं !
गरीब हूँ ...काफ़िर नहीं !
hasyakavi albela khatri's new creation "HE HANUMAN BACHALO !" |
जय हिन्द !
हे हनुमान बचा लो...
ReplyDeleteचाँदी का जूता खाने के लिए अपना ज़मीर बेच डालूं
ReplyDeleteऔर अपना ही वक़्त बेचता हूँ
पेट भराई के लिए
लेकिन इन्सानियत नहीं बेचता
किसी भी क़ीमत पर नहीं बेचता
क्योंकि मैं
मज़दूर हूँ .....लीडर नहीं !
गरीब हूँ ...काफ़िर नहीं
Bahut khoob !