Monday, February 27, 2012

लाखों मिल जाएंगे भुजंग मेरे देश में.....



हाकिम को घूस दे के
अपना बना लो, यही
काम करवाने का है ढंग मेरे देश में

धनी लोगों, वासना के
लोलुपों को रात दिन
बेचती गरीबी अंग-अंग मेरे देश में

क्षेत्र सम्प्रदायों के
असीम हैं, अनन्त हैं व
बन्दगी के दायरे हैं तंग मेरे देश में

ढूंढना जो चाहो ढूंढ़ो,
आदमी मिले न मिले,
लाखों मिल जाएंगे भुजंग मेरे देश में

हास्यकवि अलबेला खत्री - सूरत

जय हिन्द !

1 comment:

  1. लाखों मिल जाएंगे भुजंग मेरे देश में

    भुजंग ही भुजंग हैं
    सुन्दर रचना

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अलबेला खत्री आपका अभिनन्दन करता है