जिस प्रकार
हवा
हाथों के इशारे नहीं समझती
आग
आँखों से डरा नहीं करती
पानी
आँचल में क़ैद नहीं हो सकता
अम्बर
किसी एक का हो नहीं सकता
वसुधा
अपनी ममता त्याग नहीं सकती
वो
सिर्फ़ देना जानती है, मांग नहीं सकती
उसी प्रकार
मनुष्य भी
यदि अपने स्वभाव पर अडिग रहता तो बेहतर था
परन्तु इसने निराश किया
अतः परिणाम बहुत ही मारक हो गया
संवर्धन करने वाला ही संहारक हो गया
हवा
हाथों के इशारे नहीं समझती
आग
आँखों से डरा नहीं करती
पानी
आँचल में क़ैद नहीं हो सकता
अम्बर
किसी एक का हो नहीं सकता
वसुधा
अपनी ममता त्याग नहीं सकती
वो
सिर्फ़ देना जानती है, मांग नहीं सकती
उसी प्रकार
मनुष्य भी
यदि अपने स्वभाव पर अडिग रहता तो बेहतर था
परन्तु इसने निराश किया
अतः परिणाम बहुत ही मारक हो गया
संवर्धन करने वाला ही संहारक हो गया
हास्यकवि अलबेला खत्री आयोजित लाफ़्टर शो |
जय हिन्द !
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अलबेला खत्री आपका अभिनन्दन करता है