फ़ित्न-ए- दौरां में हर लम्हा हवादिस देखिये
अब्र से बरसे है हर दम बर्क़ बारिश देखिये
मुज़्तरिब हो, रो पड़ा है हक़ भी हाल-ए-दहर पर
आदमी का हर कदम है एक साजिश देखिये
इस तरफ़ से उस तरफ़ रक्स-ए-क़यामत हो रहा
उस तरफ़ से इस तरफ़ बिखरी है आतिश देखिये
हर दरो-दीवार पर है दाग़-ए-खून-ए-हुर्रियत
गर्दिश-ए-आलम की ये संगीन क़ाविश देखिये
खौफ़ क्या 'अलबेला' तुमको ख़ंजर-ओ-शमशीर का
तेग़-ए-नज़र-ए-बशर की अब क्या है ख्वाहिश देखिये
हास्यकवि अलबेला खत्री ग़ज़ल के पाठकों की प्रतीक्षा में..... |
जय हिन्द !
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अलबेला खत्री आपका अभिनन्दन करता है