ऐ मेरी ज़िन्दगी, तू कहाँ खो गई ?
शायरी भी मेरी, अब जवां हो गई
जल रही है ज़मीं, जल रहा आसमां
क़ायनात-ए-तमाम पुर-तवां हो गई
हर शहर हर मकां मौतगाह बन गया
हर निगाहो - नज़र खूंफ़िशां हो गई
तौबा-तौबा ख़ुदा ! लुट गए - लुट गए
आज घर- घर यही दास्ताँ हो गई
ईश्वर ! रहम कर हाल पे हिन्द के
रोते - रोते कलम बेज़ुबां हो गई
जल न जाऊं कहीं 'अलबेला' डर गया
अब तो आबो - हवा आतिशां हो गई
शायरी भी मेरी, अब जवां हो गई
जल रही है ज़मीं, जल रहा आसमां
क़ायनात-ए-तमाम पुर-तवां हो गई
हर शहर हर मकां मौतगाह बन गया
हर निगाहो - नज़र खूंफ़िशां हो गई
तौबा-तौबा ख़ुदा ! लुट गए - लुट गए
आज घर- घर यही दास्ताँ हो गई
ईश्वर ! रहम कर हाल पे हिन्द के
रोते - रोते कलम बेज़ुबां हो गई
जल न जाऊं कहीं 'अलबेला' डर गया
अब तो आबो - हवा आतिशां हो गई
hasyakavi albela khatri - surat |
जय हिन्द !
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अलबेला खत्री आपका अभिनन्दन करता है