Friday, February 24, 2012

अब तो आबो - हवा आतिशां हो गई...........





मेरी ज़िन्दगी, तू कहाँ खो गई ?

शायरी भी मेरी, अब जवां हो गई



जल रही है ज़मीं, जल रहा आसमां

क़ायनात-ए-तमाम पुर-तवां हो गई



हर शहर हर मकां मौतगाह बन गया

हर निगाहो - नज़र खूंफ़िशां हो गई



तौबा-तौबा ख़ुदा ! लुट गए - लुट गए

आज घर- घर यही दास्ताँ हो गई



ईश्वर ! रहम कर हाल पे हिन्द के

रोते - रोते कलम बेज़ुबां हो गई



जल जाऊं कहीं 'अलबेला' डर गया

अब तो आबो - हवा आतिशां हो गई

hasyakavi albela khatri - surat

जय हिन्द !

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अलबेला खत्री आपका अभिनन्दन करता है