Saturday, February 4, 2012

तो कुछ ऐसे दीवाने हैं कि बस पल भर में पाया है


 
न मन्दिर में, न मसजिद में, न गिरजाघर में पाया है

इसी नरदेह में, अनहद के सच्चे घर में पाया है

कई रोते-भटकते, एड़ीयां घिसते रहे युग-युग

तो कुछ ऐसे दीवाने हैं कि बस पल भर में पाया है

-अलबेला खत्री





जय हिन्द !

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अलबेला खत्री आपका अभिनन्दन करता है