आपके भी ओंठ इक दिन, गीत गायेंगे मेरे
नींद होगी आपकी पर, ख़्वाब आयेंगे मेरे
आपके भी...
जागेगी जिस दम जवानी, जिस्म लेगा करवटें
रात भर तड़पोगी, बिस्तर पर पड़ेंगी सलवटें
आँखें होंगी आपकी पर
आँसू आयेंगे मेरे
आपके भी...
जब कभी दर्पण में देखोगी ये कुन्दन सा बदन
ख़ूब इतराओगी इस मासूमियत पर मन ही मन
मद तो होगा आप पे, पग
डगमगायेंगे मेरे
आपके भी...
राह चलते आपको गर लग गई ठोकर कभी
ख़ाक़ कर दूंगा जला कर, राह के पत्थर सभी
पांव होंगे आपके पर
घाव पायेंगे मेरे
आपके भी...
जब कभी दुनिया में ख़ुद को तन्हा पाओगी प्रिये
जब शबे-फुर्क़त में दिल मचलेगी साथी के लिए
आप अपने आप को तब
पास पायेंगे मेरे
आपके भी...
हास्यकवि अलबेला खत्री अपनी मस्ती में मस्त... |
जय हिन्द !
bahut khoob
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