Monday, February 13, 2012

ज़ाफ़रान की सुगन्ध है साँसों में आपकी




गुलकन्द है मकरन्द है साँसों में आपकी
ज़ाफ़रान की सुगन्ध है साँसों में आपकी

दुनिया में तो भरे हैं ज़ख्मो-रंजो-दर्दो-ग़म
आह्लाद और आनन्द है साँसों में आपकी

कितनी है गीतिकाएं,ग़ज़लें और रुबाइयां
कितने ही गीतो-छन्द हैं साँसों में आपकी

कहीं और ठौर ही नहीं है जाऊंगा कहाँ ?
मेरे तो प्राण बन्द हैं साँसों में आपकी 

- अलबेला खत्री 

 
जय हिन्द !

4 comments:

  1. बहुत प्यार भरी रचना है.
    मेरे प्राण बंद हैं आपकी साँसों में.

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अलबेला खत्री आपका अभिनन्दन करता है