Tuesday, January 24, 2012

लाज बचाने के लिए आत्मघात कर रही हैं



 ( सूरत में घटी एक शर्मनाक घटना पर करुण काव्य )


पत्तियाँ
गुलाब की

कुछ यूँ  झर रही हैं

मानो  
 
कमसिन किशोरियां

अपनी लाज बचाने के लिए

आत्मघात कर रही हैं

-अलबेला खत्री 

गुजरात हिन्दी समाज अहमदाबाद के मंत्री राजकुमार भक्कड़ से सम्मान स्वीकारते हुए अलबेला खत्री

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