Sunday, January 22, 2012

जिस्म को शुरुआत प्यारी लग रही है






आजकी यह रात प्यारी लग रही है

आपकी हर बात प्यारी लग रही है


चाँद उतरा है ज़मीं पर, आसमां में

तारों की बारात प्यारी लग रही है


अब नहीं कोई गिला-शिकवा किसी से

प्यार में कायनात प्यारी लग रही है


क्यों करे परवाह दिल अन्जाम की

जिस्म को शुरुआत प्यारी लग रही है


वस्ल है करमा की ऐसी खीचड़ी के

दाल प्यारा, भात प्यारी लग रही है


-अलबेला खत्री

मुंबई में महाराष्ट्र शासन के माननीय मंत्री द्वय कृपाशंकर सिंह व उल्हास पवार समेत  साहित्य अकादमी के  डॉ केशव फाल्के  का स्नेह  ग्रहण करते हुए उन्हें अभिवादन करते हुए अलबेला खत्री

जय हिन्द !

3 comments:

  1. अपनी काव्य रचनाओं को एक नया ब्लॉग देकर आपने बहुप्रतीक्षित कार्य को आगाज दिया है..
    कविवर..निवेदन है कि layout पर थोडा सा ध्यान दिया जाए तो सोने पर सुहागा हो जाएगा ...

    ReplyDelete
  2. "अब नहीं कोई गिला-शिकवा किसी से

    प्यार में कायनात प्यारी लग रही है"

    वाह !

    ReplyDelete

अलबेला खत्री आपका अभिनन्दन करता है