सन्नाटे के सीने में तूफ़ान छुपा है
दर्दे-दिल में ख़ुशियों का सामान छुपा है
अन्धियारे के आँचल से सूरज निकलेगा
काँटों के साये में फिर से फूल खिलेगा
रात बहुत लम्बी है लेकिन कट ही जायेगी
फिर सुबह आएगी........
फिर सुबह आएगी........
अलबेला खत्री
दर्दे-दिल में ख़ुशियों का सामान छुपा है
अन्धियारे के आँचल से सूरज निकलेगा
काँटों के साये में फिर से फूल खिलेगा
रात बहुत लम्बी है लेकिन कट ही जायेगी
फिर सुबह आएगी........
फिर सुबह आएगी........
अलबेला खत्री
जय हिन्द !
सच कहा है आपने
ReplyDeleteरात बहुत लम्बी है लेकिन कट ही जायेगी
फिर सुबह आएगी........
फिर सुबह आएगी........
अलबेला खत्री
अशा ही जीवन है। बहुत अच्छी कविता। बधाई।
ReplyDelete