एक-एक चेहरा मायूस सा हताश सा है
एक-एक चेहरा उदास मेरे देश में
भाई आज भाई का शिकार खेले जा रहा है
बहू को जला रही है सास मेरे देश में
इतना सितम सह के भी घबराओ नहीं,
तोड़ो नहीं बन्धु यह आस मेरे देश में
टेढ़े-मेढ़े लोगों को जो सीधी राह ले आएगा,
पैदा होगा फिर से सुभाष मेरे देश में
-अलबेला खत्री
पिथोरा कवि-सम्मेलन में मंच सञ्चालन करते हुए हास्यकवि अलबेला खत्री |
जय हिन्द !
"इतना सितम सह के भी घबराओ नहीं,
ReplyDeleteतोड़ो नहीं बन्धु यह आस मेरे देश में"
वाह अलबेला जी!
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