Monday, March 26, 2012

किसलिए आतंक है और मौत का सामान है, आईना तो देख, तू इन्सान है ..... इन्सान है


अदावत नहीं

दावत की बात कर


अलगाव की नहीं
लगाव की बात कर


नफ़रत नहीं
तू
उल्फ़त की बात कर

बात कर रूमानियत की
मैं सुनूंगा

बात कर इन्सानियत की
मैं सुनूंगा


मैं न सुन पाऊंगा तेरी साज़िशें
रंजिशें औ खूं आलूदा काविशें

किसने सिखलाया तुझे संहार कर !
कौन कहता है कि पैदा खार कर !

रे मनुज तू मनुज सा व्यवहार कर !


आ प्यार कर
आ प्यार कर
आ प्यार कर

मनुहार कर
मनुहार कर
मनुहार कर

सिंगार बन तू ख़ल्क का तो खालिकी मिल जायेगी
ख़ूब  कर खिदमत मुसलसल मालिकी मिल जायेगी

पर अगर लड़ता रहेगा रातदिन
दोज़ख में सड़ता रहेगा रातदिन

किसलिए आतंक है और मौत का सामान है
आईना तो देख, तू इन्सान है ..... इन्सान है

कर उजाला ज़िन्दगी में
दूर सब अन्धार कर !

बात मेरी मानले तू
जीत बाज़ी,हार कर !

प्यार कर रे ..प्यार कर रे ..प्यार कर रे ..प्यार कर !
प्यार में मनुहार कर ..रसधार कर ... उजियार कर !

- अलबेला खत्री

जय हिन्द !

1 comment:

अलबेला खत्री आपका अभिनन्दन करता है